आइजैक न्यूटन: जन्म, करियर और जीवनी

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आइजैक न्यूटन: जन्म, करियर और जीवनी

Life of Isaac Newton
आइजैक न्यूटन

आइजैक न्यूटन इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की। वे एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे। इनका शोध "फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिंसिपिया मैथेमेटिक" सन् 1687 में प्रकाशित हुआ था, जिसमें गुर्त्वाकर्षण एवं गति के नियमों की व्याख्या की गई थी और इस प्रकार भौतिकी ( क्लासिकल भौतिकी ) की नींव रखी।

यांत्रिकी में, न्यूटन ने संवेग तथा कोणीय संवेग दोनों के संरक्षण के सिद्धांतों को स्थापित किया। प्रकाशिकी में, उन्होंने पहला व्यवहारिक परावर्ती दूरदर्शी बनाया। इस आधार पर रंग का सिद्धांत विकसित किया कि एक प्रिज्म श्वेत प्रकाश को कई रंगों में अपघटित कर देता है जो दृश्य स्पेक्ट्रम बनाते हैं। उन्होंने शीतलन का नियम दिया और ध्वनि की गति का अध्ययन किया।

न्यूटन ने बताया कि पृथ्वी पर वस्तुओं की गति और आकाशीय पिंडों की गति का नियंत्रण प्राकृतिक नियमों के समान समुच्चय के द्वारा होता है, इसे दर्शाने के लिए उन्होंने ग्रहीय गति के केपलर के नियमों तथा अपने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बीच निरंतरता स्थापित की, इस प्रकार से सूर्य केन्द्रीयता और वैज्ञानिक क्रांति के आधुनिकीकरण के बारे में पिछले संदेह को दूर किया।

जन्म और प्रारम्भिक जीवन:

न्यूटन का जन्म, वूलस्ठोर्पे बाय कोलस्तेरवर्थ लिंकनशायर जर्मनी, मे 4 जनवरी 1643 को हुआ था। इनके पिता की मृत्यु इनके जन्म लेने के तीन महीने पूर्व ही हो गई थी।

इनके पिता एक किसान थे, उनका नाम सर आइजैक न्यूटन था। जब वो तीन वर्ष के थे तभी उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली और न्यूटन को छोड़ कर चली गई।

न्यूटन अपने सौतेल पिता को पसंद नही करते थे, और वो अपनी माँ के साथ भी दुश्मनी का भाव रखते थे जिसका कारण दुबारा उसकी माँ का शादी करना था। 19 वर्ष की अवस्था में इनके द्वारा किये गए अपराधों की सूची में प्रदर्शित होता है कि “मैंने माता और सौतेले पिता के घर को जलाने की धमकी दी थी”।

परन्तु जब न्यूटन के सौतेले पिता की भी मृत्यु हो गई, तब उनकी मां वूल्स्थोर्पे-बाय-कोल्स्तेर्वोर्थ वापस आ गयी और न्यूटन को खेती में मदद करने के लिए जोर दिया। लेकिन न्यूटन ने खेती करने से मना कर दिया क्योंकि उनका मन खेती की अपेक्षा पढ़ने में ज्यादा लगता था।

न्यूटन की शिक्षा:

जब ये 17 साल के हुए तो "द किंग्स स्कूल, ग्रांथम" में इन्हें पढ़ने के लिए प्रवेश दिलाया। लेकिन इनका मन वहां पढाई में नहीं लगता था, क्यूंकि वहां गणित नहीं पढ़ाया जाता था। न्यूटन का मन शुरुआत से ही गणित विषय में बहुत लगता था। वे बचपन से ही आकाशीय पिंडों और ग्रहों की ओर आकर्षित रहते थे, और सूरज की किरणों को देखकर उन्हें आश्चर्य होता था। अक्टूबर 1659 को न्यूटन को स्कूल से निकाल दिया गया। इधर इनकी माँ के दूसरे पति का भी देहांत हो चुका था। इसी कारण माँ ने इन्हें खेती बाड़ी सँभालने को कहा। लेकिन न्यूटन का मन खेती बाङी में नहीं लगता था।

हेनरी स्टोक्स जो कि द किंग्स स्कूल, ग्रांथम के प्रिंसिपल थे उन्होंने न्यूटन की माँ से न्यूटन को फिर से स्कूल में दाखिला दिलाने को कहा जिससे वो आगे की पढाई कर सकें। इस बार न्यूटन ने हताश नहीं किया और बहुत जल्दी वो स्कूल के टॉपर विद्द्यार्थी बने। किंग्स स्कूल, ग्रान्थम में उन्होंने बारह वर्ष से सत्रह वर्ष की आयु तक शिक्षा प्राप्त की। बचपन में वह पढ़ाई में कुछ खास अच्छे नहीं थे। एक बार स्कूल में एक लड़के ने न्यूटन को पीटा मगर न्यूटन जब गुस्से में आ गए तो उस लड़के को भाग कर अपनी जान बचानी पड़ी। फिर 1659 में जब उन्हें स्कूल से निकाला गया तो वे अपनी माँ के पास आ गए।

न्यूटन का करियर:

न्यूटन अपने गणित के अध्यापक के काफी प्रिय थे। न्यूटन जिस कॉलेज से मास्टर की डिग्री प्राप्त कर रहे थे उस कॉलेज के प्रोफेसर ने दूसरी नौकरी के लिए प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया, तभी उनके गणित के अध्यापक ने न्यूटन को उस पद को धारण करने के लिए कहा।

न्यूटन ने उनकी बात को स्वीकार किया और वह गणित के प्रोफेसर बन गए। न्यूटन अपने प्रयोगों को और आगे तक ले जाने के लिए और ज्यादा खोज करने के लिए प्रयत्न करने लगे और न्यूटन ने जो खोज की है।

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण के प्रयोग:

एक दिन न्यूटन एक पेड़ के नीचे बैठे थे और अचानक ऊपर से एक सेब गिरा तभी न्यूटन सोचने लगे यह सेब सीधा ही क्यों गिरा, अगल-बगल या ऊपर क्यों नहीं गिरा। इसका मतलब धरती उसे खींच रही है, मतलब उसमें आकर्षण है। वह काफी देर से बैठकर यही सोच रहे थे। बहुत देर तक सोचने और विचारने के बाद उन्होंने प्रयोग करके पता लगाया कि जो चीज ऊपर है वह नीचे आएगी।

जब तक गुरुत्वाकर्षण बल रहेगा तब तक वह चीज नीचे आएगी जब गुरुत्वाकर्षण बल खत्म हो जाएगा तो वो चीज वही तैरने लगेगी। इस प्रकार न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के नियम की खोज की।

न्यूटन का गति के नियम:

न्यूटन के गति के तीन नियम खोजें -

1. पहला नियम है “जड़त्व का नियम”,इस नियम के अनुसार एक वस्तु तब तक स्थिर बनी रहेगी जब तक उस पर कोई बल ना लगाया जाए और एक वस्तु तब तक गतिमान रहेगी जब तक इस पर कोई बल ना लगाया जाए।

2. दूसरा नियम है “संवेग का नियम”, इस नियम के अनुसार वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगाये गये बल के अनुक्रमानुपाती तथा संवेग परिवर्तन आरोपित बल की दिशा में होता है।

3. तीसरा नियम है “क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम”, इस नियम के अनुसार जब किसी वस्तु पर कोई बल लगाया जाता है तो वस्तु भी उतना ही बल उस बल के विपरीत दिशा में लगाती है।

आइजैक न्यूटन की मृत्यु:

आइजैक न्यूटन ने आजीवन विवाह नहीं किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन अपनी शोध और वैज्ञानिक खोजों को ही समर्पित किया। न्यूटन ने बाइबिल पर अपने धार्मिक शोध भी लिखे। न्यूटन इंगलैंड की संसद के सदस्य भी रहे। इंगलैंड में उन्हें वहां की टकसाल का वार्डन भी नियुक्त किया गया। यहाँ उन्होंने बहुत ही इमानदारी से काम किया। अपनी मौत तक वो इस पद पर बने रहे।

अप्रैल 1705 में इंगलैंड की महारानी ऐनी ने आइजैक न्यूटन को उनके राजनितिक योगदान के लिए ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में एक शाही यात्रा के दौरान नाइट की उपाधि दी। आइजैक न्यूटन की मृत्यु 31 मार्च 1727 को नीद में सोते हुए हुई। उन्हें वेस्टमिंस्टर एब्बे में दफनाया गया।

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