भारतीय पंचांग और हिन्दू धर्म में अधिक मास एक विशेष मास होता है जो कई धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं के अनुसार मान्यता प्राप्त है। यह मास विशेष तौर पर ज्येष्ठ और आषाढ़ मास के मध्य आता है और कभी-कभी बीच में एक वर्ष में दो बार भी आ सकता है। 2023 में भी अधिक मास (मालमास) की अवधि अधिक मासी से शुक्ल पक्ष के मंगल, 18 जुलाई, 2023 - बुध, 16 अगस्त, 2023 तक होगी।
अधिक मास का महत्व:
अधिक मास को हिन्दू धर्म में विशेष माना जाता है और इसे मालमास के नाम से भी जाना जाता है। इस मास को महाश्रावण, अधिकाषाढ़ और पुराणमास भी कहा जाता है। इस मास की मान्यताएं विभिन्न प्राचीन पुराणों और ग्रंथों में मिलती हैं और विभिन्न कथाएं और कथाएं इसके महत्व को समझाती हैं।
अधिक मास के चलते कई परंपराएं और धार्मिक क्रियाएं विशेष रूप से अधिक मास में अनुसार आयोजित की जाती हैं। इस मास के दौरान भक्तों को विशेष तौर पर व्रत, पूजा, ध्यान और दान करने की सलाह दी जाती है। यह मास आध्यात्मिक उन्नति, शुभता और आनंद का महीना माना जाता है और भक्तों को ईश्वरीय कृपा का अनुभव करने का अवसर देता है।
अधिक मास के माहात्म्य और उपास्यता:
अधिक मास की विभिन्न पौराणिक कथाएं और माहात्म्यों के अनुसार, यह मास भगवान विष्णु की कृपा और महत्वपूर्णता का प्रतीक है। इस मास में भगवान विष्णु का ध्यान और पूजा करने से मान्यता है कि भक्त को आनंद, सुख, शांति, समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है।
अधिक मास की पूजाएं और उपासना कई प्रकार की होती हैं और इस मास में विशेष पूजाओं और व्रतों का आयोजन किया जाता है। इस मास की उपास्यता में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान शिव, देवी पार्वती, सूर्य देव, गणेश और कई अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।
अधिक मास के प्रमुख व्रत और पूजाएं
अधिक मास में कई महत्वपूर्ण व्रत और पूजाएं मनाई जाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख व्रत और पूजाएं निम्नलिखित हैं:
1. देवशयनी एकादशी: यह एकादशी अधिक मास के दूसरे या तीसरे सोमवार को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र रचा जाता है।
2. अधिक मास शिवरात्रि: अधिक मास के शिवरात्रि को शिवरात्रि का अद्वितीय रूप माना जाता है। भक्तों द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है और शिवलिंग का स्थापना की जाती है।
3. अधिक मासी एकादशी: यह एकादशी अधिक मास के अंतिम सोमवार को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उपवास किया जाता है।
4. दक्षिणायनी संक्रांति: यह मास की अंतिम तिथि को होती है और इस दिन सूर्य की पूजा की जाती है। भक्त उषा काल में स्नान करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।
5. विष्णु पुराणमास व्रत: इस व्रत को अधिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और पूर्णिमा के दिन व्रत रखा जाता है।
इन व्रतों और पूजाओं के अलावा, अधिक मास में श्रावण सोमवार व्रत, रक्षा बंधन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, नग पंचमी, हरियाली तीज, राखी पूर्णिमा आदि धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव भी मनाए जाते हैं।
अधिक मास के प्रमुख तीर्थयात्राएं:
अधिक मास में कई प्रमुख तीर्थस्थलों की यात्राएं भी की जाती हैं। निम्नलिखित हैं कुछ प्रमुख तीर्थयात्राएं:
1. काशी विश्वनाथ धाम: वाराणसी के महादेव का धाम अधिक मास में विशेष रूप से भक्तों के द्वारा यात्रा की जाती है।
2. मथुरा और वृंदावन: श्री कृष्ण के जन्मभूमि मथुरा और उनके बालरूप में वृंदावन में भी अधिक मास में भक्तों की भीड़ ज्यादा होती है।
3. जगन्नाथपुरी रथयात्रा: ओडिशा के पुरी में होने वाली जगन्नाथपुरी रथयात्रा भी अधिक मास में ही मनाई जाती है।
4. अमरनाथ यात्रा: जम्मू और कश्मीर के अमरनाथ गुफा में भगवान शिव की यात्रा भी अधिक मास में अपार श्रद्धा के साथ की जाती है।
5. चार धाम यात्रा: यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा भी अधिक मास में की जाती है और यह यात्रा हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण मानी जाती है।
अधिक मास के दौरान भक्तों को आध्यात्मिकता, पूजा, प्रार्थना, सेवा और दान की महत्वपूर्णता का आनंद लेने का अवसर मिलता है। इस मास में अनेक धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं जो सभी को एकजुट करके सम्प्रेमी, धार्मिक और आध्यात्मिक आत्मा के संगीत का आनंद लेने का अवसर प्रदान करते हैं।
इसे भी पढ़े: Sawan Ka Mahina 2023
0 Comments